गुरुवार, 2 जुलाई 2009

दूर भेज देते फिर बुलाते भी नहीं

इसी दुनिया की बातें करता हूँ। सरल -२। टपकती -२। गाढापन, सारा बह गया। मेरे किनारों से पूछ लो। उन निकल चुके बटनों से पूछ लो,कितनी आसानी से निकल गए वो। पुलों से पूछ लो ,जो मुझे बतियाने को रोक लेते । मैं और क्या कहूँ तुम ख़ुद से पूछ लो , लेकिन उस वक्त,जब मैं बेवफा हो चुकूं।

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