सोमवार, 1 जून 2009

सर्कस में आगे की सीट पर

शासन कभी जनहित में नहीं किया जाता। कोई -सा तरीका हो,जनहित शासक के ख्याल में भी नहीं होता। लोकतंत्र सबसे बड़ा तमाचा है । जाल फेंकने की कला है। करोड़पतियों की संसद। धोके में नहीं कोई। अठारह बरस ,ऊँगली पर तिलक,पॉँचसाल सब बेमानी। जीने वालों ,भरोसे पर , तुम्हारा तो अब भगवान भी खरा नहीं।

1 टिप्पणी:

  1. इस मुद्दे पर हम सहमत है !
    .............बुद्धिजीवी ... ?
    असहाय / गणतंत्र में व्यर्थ हो चुके !

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