शनिवार, 24 जनवरी 2009

उड़ गए तिनके जिनसे तेरा नाम लिखा था

मुश्किल में हूँ अब कोई मेहरबान नहीं है,

यादों के भंवर में कोई तूफान नहीं है ।

तुमने मुझे ठुकरा दिया था यूँ ही किसी दिन ,

अब मेरा तेरे दर पे कोई ध्यान नहीं है ।

1 टिप्पणी:

  1. जय भाई , उसके दर पर ध्यान नहीं होने की स्वीकृति भी , उसके ध्यान में होना है ! बधाई हो !

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