शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

चुभ रही होगी चेहरे पे मेरी निगाह

लिखता हूँ एक सांवली चिट्ठी .तिल के नाम [जो तुम्हारे चेहरे पे काजल का काम कर रहा बुरी नजर से बचाने].सुबह के झरे हुए सफ़ेद फूल साफ दिखाई पड़ते सांवले चेहरे पे .गुलाबी नाखून वाली उँगलियाँ चमक उठतीं . टॉप्स संतुलित करते .बादामी काली ऑंखें ,,पलकें थोडी उठीं ,और इतनी ही झुकीं। मुस्कराहट को रोकने में असफल होते होंठ. तुम्हारा चेहरा, पूरा,मैं देखूं तो देखूं कैसे?

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