सोमवार, 12 जनवरी 2009

खताबाज लम्हों को जगह यहाँ भी कहाँ

जीने के लिए ,टहल आता हूँ------रोज कब्रिस्तान तक ।

1 टिप्पणी:

  1. क्या बात है! स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी. (gandhivichar.blogspot.com)

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