रविवार, 11 जनवरी 2009

मीठा होता होगा शहद मेरा-- नीम से लेकिन कम

नींद टूटी कि सपना, गिरा जरुर उसमें से मधुमक्खी का छत्ता । खाली था मक्खियों से । नया छत्ता तैयार हो रहा होगा मेरे भीतर । खैर ,तुम तो चखो ,ये मीठा शहद।

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय जय ,
    इन दिनों ऐसा लग रहा है गोया कलम में रौशनाई की जगह स्टेरायड भर कर लिख रहे हो !
    वैसे इस कृति के लिए मैं सिर्फ़ इतना ही कहूँगा " क्लासिकल "

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  2. स्वागत है आपका लिखते रहें।

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