गुरुवार, 8 जनवरी 2009

टूटती रही बिजली रोशन होता रहा जल जल के मैं

खाब अच्छे है। पसंद हैं, ऐसे जिसमें कोई खास बात अपने लिए बिल्कुल न हो। क्या करेंगे,अपनों के सपनों का। एक ठोस ----बे आरपार हवा ----से अपने ---------फिर उनके सपने । जाओ, सोने दो । ----------------------। लम्बी से ज्यदा गहरी नींद । बे खाब आओ ,तो बात बने।

1 टिप्पणी:

  1. श्रीवास्तव साहब बहुत भावुक होकर लिख रहे हैं आप ! अच्छा लिख रहे हैं !

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