शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

मात्राहीन शब्द ---कंकाल/////शब्द रहित मात्राएँ =भटकती आत्माएं और मैं पसरा हुआ

गिनती के शब्द , अनगिनत मात्राएँ सर पर धरीं ,पांवों से लटकीं । कहीं .....अधपर। १ ३ ४ ५ ५ ५ ७ ४ ४ ३ ५ ८७८ ०००००००००००००००--०००-। ० -वो =मैं ॥ ```````मैं-आज का दिन =जिंदगी । रहा हमेशा एक सीलन का कोना मेरे घर। पश्चाताप की पोशाख , संतोष की जुराब, मटका , चूल्हा , भगवान की फोटो और फैला दालान मैं मुरमुरा .....पाँव मैं आता ....... । नेम प्लेट पर मैं तना हुआ। मैं खाता, मैं सो जाता । मैं खाता----।

1 टिप्पणी:

  1. "नेम प्लेट पर मैं तना हुआ"
    अद्भुत , बहुत ही बढ़िया !
    बधाई !

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