मेरे लिए ये देखते रहने का समय है तुम्हें। ----पास से --कभी कम फासले से ---आँखों से ही नहीं--------। इतना दो वक्त ,कर लूँ भरोसा (अपने ) आप पर । ग़लत बताई दूरी पर
मिल सकूँ , मुझे मोहलत दो। टुटा हुआ तार सही , काम आ सकूँ कभी , ओ साज तुम्हारे , बिना पुकारे ।
आप जो भी लिख रहे हैं दिल को छू जाता है !
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