सोमवार, 5 जनवरी 2009

हासिल जिन्दगी -------रातदिन कुलजमा

वे दिन थे की हाथ नहीं आते थे, ये दिन हैं के हाथ ही मैं रह जाते हैं।

तासीर दिन की बदली है या मेरी.

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