वे दिन थे की हाथ नहीं आते थे, ये दिन हैं के हाथ ही मैं रह जाते हैं।
तासीर दिन की बदली है या मेरी.
अतिसुन्दर!
विजेट आपके ब्लॉग पर
अतिसुन्दर!
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