गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

आसमान बगल में ढिढोरा उनके देश

सच को तर्क की छत नहीं चाहिए। -----शब्दों के आगे हमें निःशब्द यात्रा करनी है। --------तितली -सा दिन , जिंदगी में , एक बार तो आये। -------धीरे-धीरे चलूँ ,साथ हो सके कोई और \अपना भी। -----------------------------------में पहाड़ों के पास , उनका अकेलापन दूर करने जा रहा हूँ।

1 टिप्पणी:

  1. "तितली -सा दिन , जिंदगी में , एक बार तो आये"

    गहरी सोच के साथ लिखी गई पोस्ट !

    जवाब देंहटाएं

हिन्दी ब्लॉग जगत

समर्थक

मेरे बारे में

उज्जैन, मध्यप्रदेश, India
कुछ खास नहीं !