शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009

तारों को तरसता मेरा आसमान

मौसम दर मौसम मिलना एक ताजगी देता है। पोंछा लगे मन्दिर के देवता का पहला दर्शन। विनम्रता से भरा स्वागत गीत। बंगाली गीत की गुनगुनाहट। गायत्री मंत्र का स्त्री स्वर ,नई आवाज । गाँव का कच्चा घर, लकड़ी के चूल्हे पर बनी चाय। भूले हुए सिलसिले में से झांकती उनकी याद। गर्मी में छत पर लेटे -२ तारों को देखना। -----और बारिश में भीगते हुए जेब में पड़े हुए दोनों हाथ।

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