गुरुवार, 26 मार्च 2009

दूर नही होंगे हम सनम

टूटे हुए पत्ते लग न जाए वहीं । हवाओं ,तुम दूर ले जाओ इन्हे । रिश्ते इन्हे सताने न लगें । हालां कि नजदीकियां ही नही ,दूरियां भी रिश्तों की खुराक हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा तो है किन्तु पूर्व की तुलना में कमतर !

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  2. किसी नें मुझसे कहा है की कह दो ,जय जी लिखते रहें अच्छा लगता है

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