अरे भाई कई दिनों से आपका ब्लॉग खोल कर टिप्पणी करने के लिए जूझ रहे हैं ! लेकिन कम्पूटर महाशय हर बार टंग जाते हैं ! मजबूरन टिप्पणी को पोस्ट की जगह डाल रहे हैं !
"परस्पर से परे लेकिन अब व्यक्त " संभवतः पिछले माह की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हैं ! इतनी गहरी समझ इतनी गहरी सोच हर किसी में नहीं होती भाई साब ! यूँहीं लिखते रहें !
टिप्पणी तो हमें भी करना थी मगर पता नहीं क्या गड़बड़ थी कंप्यूटर तो हमारा भी हैंग हो जाता था अब लगता है सब ठीक ठाक हो गया है !
जवाब देंहटाएं