किसी ने कहा हो सपनो में और मैंने न सुना हो;गुनाह करता हूँ, पर ऐसा --? एक तू ही तो है मुहब्बत,जिसका दामन ,जिसके दामन का छोर थामे खींचे जा रहे हैं.कुए में आसमान से गिरी आवाज गोता लगा कर ऊपर आती है,मुझे बुलाती है ; मैं तो गुनगुना ही रहा था ‘आवाज दे के हमें तुम बुलाओ,----‘
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