हवा अपनी दिशा रखती है। उसे मत बहकाओ। जमीं अपना सिरा रखती है। उसे मत बताओ। आसमान अपना विस्तार रखता है। उसे मत सिखलाओ। जल अपना स्वभाव रखता है। उसे मत भरमाओ। और आग् ----आग् लपक रखती है ।उससे तो बिल्कुल मत खेलो।
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