मंगलवार, 20 जनवरी 2009

मैं लिपटा हूँ तो पेड़ जरुर चंदन का ही होगा

मेरा इंतजार नहीं होता अब कहीं। मैं जरुरी नहीं होता अब कहीं। यूँ बड़ी मुश्किल से बना पाया हूँ ख़ुद को। इस लायक। इतना हल्का हो गया ,कि फुग्गे से टकरा न जाऊँ ; फूलों की खुशबू से बेहोशी छाती है। ---तेरी याद है कि आने की ख़बर, मुझे कुछ खास बनाती है। --'---मैं अकेले ही में मजे -----मुझे आप---- किस ---'

1 टिप्पणी:

  1. "फूलों की खुशबू से बेहोशी छाती है। ---तेरी याद है कि आने की ख़बर, मुझे कुछ खास बनाती है।"
    अच्छा है

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कुछ खास नहीं !