सोमवार, 29 दिसंबर 2008

अलविदा ....

२००८ थक गया है ।
उस पर टांगते गए सभी अपने -२ बोझ ।
२००९ ने ले ली उसकी जिम्मेदारी ।
हमने क्या ली ? हम तो फूंकते गए चरागों को ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. तुम्हारी तरह तुम्हारी कलम भी ज़ज्बाती है ! इसे म्यान में मत रखना मेरे दोस्त !

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  2. अली भाई से सहमत । splashcastmedia पर आपकी प्रेमिल टिप्पणी मिली ।

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