मज़ार है कि उठ कर चल दी!गज़ब का विरोधाभास!!
समर्पण को अस्वीकार करने की इन्तहा है !
Gazab ka likhte hain aap!
devendrji,अली सब,क्षमा जी.कोमेंट के लिए शुक्रिया. पसंद के लिए भी.क्षमा जी ,"जय की बातें",ब्लॉग भी देखें
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मज़ार है कि उठ कर चल दी!
जवाब देंहटाएंगज़ब का विरोधाभास!!
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जवाब देंहटाएंdevendrji,अली सब,क्षमा जी.कोमेंट के लिए शुक्रिया. पसंद के लिए भी.क्षमा जी ,"जय की बातें",ब्लॉग भी देखें
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