रविवार, 11 जनवरी 2009

सर्दियों में

सर्दियों में धरती के सुदूर छोरों पर दूर दूर तक पसर जातें हैं श्वेत, धवल बर्फ के खूबसूरत ,मनमोहक लैंडस्केप !
यही नहीं बाकी सारी धरती भी हरे /धानी रंग से नहाई हुई ,खुश खुश सूरज के इर्द गिर्द नाचती है ,चौबीसों घंटे लगातार , रात दिन !
और मैं ......?
सर्दियों में ,खुश नहीं हो पाता हूँ धरती सा ! नाच नहीं पाता हूँ चाँद को बांहों में लेकर कुछ घंटे भी !
सर्दियों में , मेरे जिस्म के किसी भी छोर पर सफेद और धानी रंग के अक्स झिलमिलाना तो दूर मेरे ख्याल ..?
मेरे ख्याल ....भी धूसर धूसर हो जाते हैं !

2 टिप्‍पणियां:

  1. 'नज़र से सर्दी अच्छी . 'फ़िर एक बार मुहब्बत का इम्तिहान न लो .'----तने से अपने देर तक टिके न रहो ,

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  2. दिल को छू लेते हैं ये शब्द :*खुश खुश सूरज के इर्द गिर्द नाचती है ...............मेरे ख्याल ....भी धूसर धूसर हो जाते हैं*

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