सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

फिलहाल

फिलहाल यह ही।  क्यों  कि राह तो मिले ।  फिर चलें।

रविवार, 19 फ़रवरी 2017

अब फिर लिखना शुरू करते  हैं।

रविवार, 2 सितंबर 2012

mujh-sa

सीधा -सा  था  रास्ता



 मुझे

 दिखाई  दिया  मुझ -सा 

रविवार, 22 जुलाई 2012

kal kal

तुमने कल मिलने को

 कहा था कल



 भले न मिलो आज

 कल मिलना कहने ही के लिए

 मिल जाओ आज फिर

 मुझे

 कल कल सुनना अच्छा लगता है ...

शनिवार, 14 जुलाई 2012

aj tak

तुम्हारी

 पहली मुलाकात ने

 भिगोया भर था

चू रहा

 आज तक 

रविवार, 1 जुलाई 2012

विचार

कोई भी कथन या विचार अच्छा या बुरा हो सकता है ; उसके प्रति अपना विचार हमारी अपनी सोच या दृष्टि ,जो कि स्थिर या अस्थिर होती है ,उस पर निर्भर करती है।

शुक्रवार, 29 जून 2012

अपनी ख़ामोशी से भरी यात्रा है।पेड़ ,पत्थर ,पोंधे -----हवा,पानी ,रंग -----और धूपछांव . ये सब मनचाहा   वातावरण बना रहे हें .तुम  मेरे साथ न हो तो भी क्या है .            

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उज्जैन, मध्यप्रदेश, India
कुछ खास नहीं !