गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

आइना था कि जंजाल जो लगाया हमने

समय निरंतर है। रुकता नहीं। समय दरअसल निरंतर आराम करता है। पड़ा नहीं रहता। हमारी तरह। न काम करता है भागता हुआ, हमारी तरह। समय काम का कर्ता नहीं । न ही काम समय की क्रिया।
समय , हमारे लिए , एक बड़ा और साफ आइना है । एकदम साफ आइना। पर्याप्त रौशनी में रखा हुआ। उसके बरक्स हम। कोडिंग होता है हमारा विभिन्न कोडों में। कोडों में ही उसे जीवन भर हम देखते हैं। कोडिंग हमने नहीं किया ,इसलिए हम नहीं जानते उसके मानी। हम तो बस कंगा कर ,पावडर लगा निकल पड़ते हैं। आइना हमें वही दिखा देता है। हम सुन्दर देखते खुश होते जीते जाते हैं। हमें यह जानना चाहिए कि आइना वह भी दिखाता है जो वह देख रहा है। और उसका भी कोडिंग हो रहा है। विभिन्न कोडों में । आइना दरअसल वहां ही नहीं है जहाँ तुमने लगा रखा है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुन्दर , सारगर्भित , बेहद विचारोत्तेजक ...डाक्टर साहब पता नहीं क्यों समय मेरे प्रिय विषयों में से एक है !

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  2. Ham andekha kar den,aaina har jagah maujood hai..kyonki wo dilme rahta hai..

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