तालाब में देखा, सारा पानी खारा होने लगा। शीशे में - - -। कपड़े तार- २ हो गए। सूरज को - - - । धूप सारी लपेटकर बिखरते बादल के पीछे छुप गया। चाँद को - - - । तुम्हारी ओट में वो जाके पिघलने लगा। तुम्हारे चेहरे को हाथों में लिए उसमें ख़ुद को देखा और मैं बरसने लगा।
सुंदर अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंbhavna ji, is apni najar ko jitna chhupata hun, utna khara karti hai pani. dad hetu thank you.
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