रविवार, 18 जनवरी 2009

खड़े आज किए इतिहास के पहिये और लुढ़का दिए वापस

सोने का हिरन दिखाई देता है । भगाता हुआ ले जाता है खूब दूर । थके शिकारी राजा को पानी पिलाता है ऋषि । हिरन का शिकार करने की इच्छा हिरन हो जाती है। राजा अब ऋषि -पुत्री का शिकार करने को उद्धत हो जाता है। नायक का ये चरित्र ऐतिहासिक है। ---मैं इसे भविष्य में जाने से रोकता हूँ। हिरन अब किसी भी रूप में शिकार नहीं होंगे।

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